Thursday, September 23, 2021

 एक नज्म लिखता हूं मैं तेरे नाम की

जाती नही खुमारी तेरे अहसास की


दरिया में जैसे है सैलाब उमड़ता

वैसे ही सैलाब उमड़ती तेरी यादों की


सोलह श्रृंगार में तू जो आई पास मेरे

अंखियों से देख तुझे मैने इश्क बयां की


गूंजते हैं इक इक लफ्ज मेरे कानों में

जो कल रात मेरे आगोश में तूने बयां की


---- सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment