मिली थी कल मुझे वो ..
थी मुकम्मल गजल सी वो
कह बैठी ,
सुनो ...
मैं भी तुमसा
लिखना चाहती हूं ,
दर्द को पीकर
कैसे लिखते हो ?
तुम प्रेम से भरी
ये कविताएं ..
जरा मुझे सिखाओ ना ,
मैं भी लिखना चाहती हूं ..
दर्द को दफन कर
प्रेम से भरी कविताएं ।।
---- सुनिल #शांडिल्य
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