Saturday, October 2, 2021

 वो इश्क मेरा मुझमें ही रहता है

इर्द-गिर्द वो मेरे हरपल रहता है


अहसास बन रोम-रोम बसता है

ओझल नजरो से रूह में रहता है


मुस्कान बन मेरे होठो में रहता है

धड़कने बम मेरे  दिल मे रहता है


सांसो की मेरी, आहट में रहता है

अहसासों में महताब बन रहता है


जब में चलता हू..


---- सुनिल #शांडिल्य

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