Saturday, October 30, 2021

 ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें,

दिलों में उल्फ़त नई-नई है ...


अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में,

अभी मोहब्बत नई-नई है ...


अभी न आएँगी नींद न तुमको,

अभी न हमको सुकूँ मिलेगा ...


अभी तो धड़केगा दिल ज़्यादा,

अभी मुहब्बत नई नई है ..


---- सुनिल #शांडिल्य

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