ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें,
दिलों में उल्फ़त नई-नई है ...
अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में,
अभी मोहब्बत नई-नई है ...
अभी न आएँगी नींद न तुमको,
अभी न हमको सुकूँ मिलेगा ...
अभी तो धड़केगा दिल ज़्यादा,
अभी मुहब्बत नई नई है ..
---- सुनिल #शांडिल्य
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