पायल की छन छन
जैसे बारिश की बुंद
तेरे नैन चंचल चपल
बिंदिया सूरज की लाली सी
घनघोर घटा बादल की
तेरे स्याह केश लहराए
श्वेत देह जैसे नीला अम्बर
लचके कमर जैसे ऋतु मतवाली
तेरा पावन आँचल लहराए
जैसे उड़ते देखा हो सागर को
क्या वर्णन करूं मैं तेरी
लिखूं तो कलम मेरी बलखाए
---- सुनिल #शांडिल्य
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