Wednesday, December 29, 2021

 पायल की छन छन

जैसे बारिश की बुंद


तेरे नैन चंचल चपल

बिंदिया सूरज की लाली सी


घनघोर घटा बादल की

तेरे स्याह केश लहराए


श्वेत देह जैसे नीला अम्बर

लचके कमर जैसे ऋतु मतवाली


तेरा पावन आँचल लहराए

जैसे उड़ते देखा हो सागर को


क्या वर्णन करूं मैं तेरी

लिखूं तो कलम मेरी बलखाए


---- सुनिल #शांडिल्य

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