Wednesday, December 8, 2021

 हर बात भी उससे

हर डांट भी उससे


पर जाने क्या ऐसी बात हो गई

सुने उसे अब,रात हो गई


काली रातें काली आंखें

काजल से भीगे आंसू


पोछ ना पाया इन हाथों से

रात हो रही,वो सो रही


हर कविता थी नाम पे उसके

हर ग़ज़ल भी उसपे

हर गीत भी उसपे


पर जाने भूल कहां हो गई

मेरी परछाई कही खो गई


---- सुनिल #शांडिल्य

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