हर बात भी उससे
हर डांट भी उससे
पर जाने क्या ऐसी बात हो गई
सुने उसे अब,रात हो गई
काली रातें काली आंखें
काजल से भीगे आंसू
पोछ ना पाया इन हाथों से
रात हो रही,वो सो रही
हर कविता थी नाम पे उसके
हर ग़ज़ल भी उसपे
हर गीत भी उसपे
पर जाने भूल कहां हो गई
मेरी परछाई कही खो गई
---- सुनिल #शांडिल्य
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