तुम वो इश्क हो
जिसे किसी कविता
ग़ज़ल,और नज्म मे
पिरोया नहीं जा सकता
तुम मुक्कमल इश्क हो
अधूरी नहीं,संपूर्ण हो
कोई कविता नही
तुम वो गीत हो
जिसे हरपल गूनगूनाऊं
वो मधूरिम संगीत हो
तुम आशा हो
तुम उम्मीद हो
सूर्य की पहली किरन
सी प्रभाती हो
हाँ तुम इश्क हो
मेरा..इश्क..
---- सुनिल #शांडिल्य
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