इंसान पूर्ण कब, कौन हुआ है
इंसान पुतला खामियों का हुआ है
खोजने परमात्मा को कहा चला है
परमात्मा जो तेरा, कहा तुझसे जुदा है
आलिंगन सांसों का जिसने साधा है
अंतहीन,विसर्जन जीवन से मोक्ष पाया है
जीवन रूपी सफर सिर्फ जिस्म ने पाया है
अजय,अमर आत्मा ने सिर्फ चोला बदलवाया है
---- सुनिल #शांडिल्य
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