Monday, January 24, 2022

 मैं जले हृदय में

अग्नि दहन करता फिरता हूँ


सुख-दुख दोनो मे मग्‍न

रहने की भंगिमा करता फिरता हूं


मैं यौवन का उन्‍माद

कलम से लिखता फिरता हूँ


उन्‍मादों मे भी गहन

अवसाद लिए मैं फिरता हूँ


मैं लबों पे हंसी 

आंखों में अश्क लिए फिरता हूं


मैं,हां मैं ,

किसीकी याद लिए फिरता हूँ


---- सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment