Thursday, January 27, 2022

दर्द को घोलता हूं
इश्क की चाशनी में

रचता हूं भाव से भरी
मैं कविताएं

मिलन की करता
हूं कोरी कल्पनाएं

रचता हूं मिलन की
मैं कविताएं

अश्कों को पोछ कर
मुस्कुराता हूं मैं

रचता हूं हर्ष से भरी
मैं कविताएं

दिन दुनिया से बेखबर
रहता हूं मैं

रचता हूं प्रेम से भरी
मैं कविताएं

---- सुनिल #शांडिल्य

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