इश्क की चाशनी में
रचता हूं भाव से भरी
मैं कविताएं
मिलन की करता
हूं कोरी कल्पनाएं
रचता हूं मिलन की
मैं कविताएं
अश्कों को पोछ कर
मुस्कुराता हूं मैं
रचता हूं हर्ष से भरी
मैं कविताएं
दिन दुनिया से बेखबर
रहता हूं मैं
रचता हूं प्रेम से भरी
मैं कविताएं
---- सुनिल #शांडिल्य
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