गम मेरे महंगे थे खरीदा किसी ने नही
टूटा मेरा दिल पर दिखा किसी को नही
मैं टूटता तारा हूं शबनम की रात का
अर्श पर गिरा पर चूमा किसी ने नहीं
मयखाने की जाम में घोल कर यादों को
पीता हूं सुबह शाम पर बहका कभी नही
रोज दिल मे मेरे मेहमान आते नए नए
तोड़ा सबने दिल मेरा चाहा किसी ने नही
---- सुनिल #शांडिल्य
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