Thursday, February 24, 2022

 वो सागर वो पानी वो बहकी रवानी,

दुहराने लगा फिर वो किस्सा पुरानी, 


भूली -बिसरी सी कुछ यादें समेटी,

जला दी वो काग़ज़ वो सारी निशानी,


जला कर सभी राज़ दिल मे दफ़न की,

कुछ याद अब भी है आनी जानी,


सबने देखी थी सबने सुनी थी,

फिर भी अनसुनी की मेरी कहानी ..


---- सुनिल #शांडिल्य

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