अशांति कर शांति चाहते है
ख़ौफ़ दिलो में और प्यार चाहते है
तोड़ कर कमर इंसानों की
भला कैसी वो इंसानियत चाहते है
त्रासदी ही पनपती युद्ध से
भला बहाली कैसी सत्ता चाहते है
सहमा हुआ सा विश्व है सारा
चिंगारियों से वो शांति-अमन चाहते है
इंसानियत चाहे दो लफ्ज़ मीठे
---- सुनिल #शांडिल्य
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