Tuesday, March 22, 2022

 मैं अक़्सर वीराने में ..

उजाले भरते रोशनदानों से


पेड़ों की शाखों से

मंदिरों के चिरागों से


उनमें बजती घंटियों से ..

सीने में कैद अरमानों से


अलमारी से ताकती क़िताबों से

खुद से ..खामोशी से ..

तुम्हारी बातें किया करता हूँ


और उन बातों को लोग

कविता समझ बैठते हैं ..


---- सुनिल #शांडिल्य

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