कलम मेरी तेरी आंखें हो
कलम मेरी तेरे हुस्न का दर्शन हो
पलकें उठाऊं दीदार तेरा हो
लब खोलें तो बात तेरी हो
कलम मेरी, स्याही तेरी हो
जज़्बात मेरे, सोच तेरी हो
मैं लिखूं ऐसे,जैसे तू साथ खड़ी हो
मैं गिरूं ऐसे,जैसे तू इश्क़ की चादर हो
---- सुनिल #शांडिल्य
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