Wednesday, March 9, 2022

 कलम मेरी तेरी आंखें हो

कलम मेरी तेरे हुस्न का दर्शन हो


पलकें उठाऊं दीदार तेरा हो

लब खोलें तो बात तेरी हो


कलम मेरी, स्याही तेरी हो

जज़्बात मेरे, सोच तेरी हो


मैं लिखूं ऐसे,जैसे तू साथ खड़ी हो 

मैं गिरूं ऐसे,जैसे तू इश्क़ की चादर हो 


---- सुनिल #शांडिल्य

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