Wednesday, May 4, 2022

 मैं लिखूं  जब भी कोई नज़्म

तुम उन  नज्मों में बस जाना


मैं लिखूं जब भी कोई कविता

तुम उनमें अहसास बन जाना


नजरों  में  इतना  नेह रखना

पलकों  पे  महसूस  तुम होना


राह  मेरी  तेरी ओर  ही जाए

ऐसी डोर  में  तुम बांध  लेना


रहना भले ही तुम दूर मुझसे

जब सोचूं तो पास चली आना !


---- सुनिल #शांडिल्य

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