कुछ शब्द मैं मेरी
यादों से चुराता हूं
उस हसीं मन्ज़र को
कागज पर उतारता हूं
तेरी आँखो को पढता हूं
प्रेम की परिभाषा लिखता हूं
अल्फाज़ो मे बयां कर दूं
मैं तुझे कितना चाहता हूँ
पास जब आती हो तुम
शब्द मेरे नि:शब्द हो जाते हैं
चाहता हूं अपनी सारी
कविताएं तेरे नाम कर दूँ
---- सुनिल #शांडिल्य
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