Tuesday, May 3, 2022

 कुछ शब्द मैं मेरी

यादों से चुराता हूं


उस हसीं मन्ज़र को

कागज पर उतारता हूं


तेरी आँखो को पढता हूं

प्रेम की परिभाषा लिखता हूं


अल्फाज़ो मे बयां कर दूं

मैं तुझे कितना चाहता हूँ


पास जब आती हो तुम

शब्द मेरे नि:शब्द हो जाते हैं


चाहता हूं अपनी सारी

कविताएं तेरे नाम कर दूँ


---- सुनिल #शांडिल्य

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