सांस-साँस तेरी गीत बनी है
हर धड़कन है सरगम।
बंद पलक है निशा घनेरी,
खुले नयन प्रभात हैं हरदम।
नेह निमंत्रण देती लगती अक्सर
तेरी चितवन मुझको,
अपनी प्रीत रूप में सौंपी है तूने
भेंट ये अद्भुत अनुपम।
---- सुनिल #शांडिल्य
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