निभाना रिश्तों को भी
आसान_कहाँ होता है
क़भी दर्द को पीना पड़ता है
कभी ग़म में रोना पड़ता है
लाख़ हो नफ़रत दिल में
फ़िर भी लफ़्ज़ों को तो सीना पड़ता है
क़भी मुस्कान के पीछे का दर्द
तो कभी दर्द के पीछे मुस्कान
हर मर्ज़ को परखना पड़ता है
हर फ़र्ज़ को करना पड़ता है
---- सुनिल #शांडिल्य
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