Monday, September 12, 2022

 भीगी भीगी फ़िज़ाओं में, 

बहकी बहकी हवाओं में, 


गुनगुनाती शामों में, 

बूंदों की बरसती लड़ियों में,

महकी फूलों की  कलियों में, 


धुले धुले  आसमान तले, 

हम_तुम मिले, 


गिले शिकवे सब बारिश में घुले, 

चाय के  प्याले  हाथ में लिए, 

ख्वाब नए जीवन के बुने.... 


---- सुनिल #शांडिल्य

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