भीगी भीगी फ़िज़ाओं में,
बहकी बहकी हवाओं में,
गुनगुनाती शामों में,
बूंदों की बरसती लड़ियों में,
महकी फूलों की कलियों में,
धुले धुले आसमान तले,
हम_तुम मिले,
गिले शिकवे सब बारिश में घुले,
चाय के प्याले हाथ में लिए,
ख्वाब नए जीवन के बुने....
---- सुनिल #शांडिल्य
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