Wednesday, September 7, 2022

 पल पल कल की आस लिए, 

ये जीवन कटता है।

बढ़ती है बस उम्र,

मगर ये जीवन घटता है।।


पल पल की नदिया में,

सांसें बहती जाती हैं।

कल-कल खुशियों की चाहत में.

हर कल रहता है।।


कितने ही सपने से अपने,

अपने से सपने।

अपनेपन की आशा में,

हर स्वप्न फिसलता है।।


---- सुनिल #शांडिल्य


@everyone

No comments:

Post a Comment