पल पल कल की आस लिए,
ये जीवन कटता है।
बढ़ती है बस उम्र,
मगर ये जीवन घटता है।।
पल पल की नदिया में,
सांसें बहती जाती हैं।
कल-कल खुशियों की चाहत में.
हर कल रहता है।।
कितने ही सपने से अपने,
अपने से सपने।
अपनेपन की आशा में,
हर स्वप्न फिसलता है।।
---- सुनिल #शांडिल्य
@everyone
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