एक लम्हा ही सही
कभी सहलाओ तो सही
सूनी-सूनी रातों में
कहीं मिलने आओ तो सही
वहीं.... जहां ओस की बूँदें
तुम्हारे कदम चूमती हों
हवा मदहोश हो कर
तुम्हारे ही आस-पास घूमती हो
हाँ वहीं
पीपल की ठंडी छाँव में
मेरे मन के गाँव में
जहाँ अक्सर तुम ख्वाबों में आती हो
---- सुनिल #शांडिल्य
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