Thursday, September 8, 2022

 एक लम्हा ही सही

कभी सहलाओ तो सही


सूनी-सूनी रातों में 

कहीं मिलने आओ तो सही


वहीं.... जहां ओस की बूँदें

तुम्हारे कदम चूमती हों 


हवा मदहोश हो कर 

तुम्हारे ही आस-पास घूमती हो


हाँ वहीं 

पीपल की ठंडी छाँव में


मेरे मन के गाँव में 

जहाँ अक्सर तुम ख्वाबों में आती हो


---- सुनिल #शांडिल्य 

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