ख़ता क्या है मेरी? बहारों से पूछो
जो गुलशन से मेरे ये रूठे हुए हैं।
वर्षों तक सींचा जिन्हें अपने खूं से
वो रिश्ते ही क्यों आज झूठे हुए हैं।
ना छेड़ो मुझे बिखर जाऊंगा वरना
मेरे दिल के तार ये टूटे हुए हैं।
घायल ना ज़िंदा रहेंगे जहां में
ख़ुदा आजकल हमसे रूठे हुए हैं
ना छेड़ो कोई की छलक जाएंगे हम...!
यूँ भरे बैठे हैं हम गिलासों में पानी की तरह...!!
---- सुनिल #शांडिल्य
@everyone
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