मौन है स्त्री निः शब्द नहीं
आवाज़ है बस बोलती नहीं
जज्बात है मुँह खोलती नहीं
चाहत है पर किसी से उम्मीद नहीं
पहल ना करती पर किसी से डरती नहीं
जीत की चाह नहीं हार मानती नहीं
आईना है पर बिखरती नहीं
दर्द से भरी है पर जीना छोड़ती नहीं....
---- सुनिल #शांडिल्य
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