Saturday, November 12, 2022

मौन है स्त्री निः शब्द नहीं
आवाज़ है बस बोलती नहीं

जज्बात है मुँह खोलती नहीं
चाहत है पर किसी से उम्मीद नहीं

पहल ना करती पर किसी से डरती नहीं
जीत की चाह नहीं हार मानती नहीं

आईना है पर बिखरती नहीं
दर्द से भरी है पर जीना छोड़ती नहीं....

---- सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment