संगमरमर सा बदन लेकर
वो जब निकल जाते हैं शहरमें
लाखों आशिकों के अरमान
तब मचल जाते हैं शहरमें
लहराती जुल्फों कि घटा
जब वो झटकते हैं अदासे
पलक झपकते ही
मौसम बदल जाते हैं शहरमें
मधुर मुस्कान से दिलों पर
यूं गिराते हैं वो बिजलियां
अच्छे अच्छे पत्थर दिल भी
पिघल जाते हैं शहरमें
~~~ सुनिल #शांडिल्य
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