Tuesday, December 27, 2022

मिले सभी को प्याले मधु के,
मधुप सा सब रसपान करें
आज जो आये हैं महफ़िल में,
स्वागत उनका कल भी है
महका गजरा खनका कंगना 
बहका अचरा बिखरा कजरा
स्वर  वीणा के सिहर उठे,
हर इक सरगम  घायल भी है
जीवन रस की बरसातों से 
हर डाली पर खिले सुमन
हर पपिहा कुछ व्याकुल भी है,
सुर में  हर कोयल भी है 
नग़मा भी है पायल भी है,
इक बहका_सा_चांद भी है 
नयनों में इक सपना भी है,
मन में कुछ हलचल  भी है 
सातों रंग लिये वे आये, 
बन कर इंद्र धनुष  दमके 
मुख पर स्वेद की बुंदियाँ भी हैं ,
झीना सा आँचल भी है 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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