Monday, December 26, 2022

सूरज धीरे-धीरे ढल रहा था
देखकर उसको
मेरा दिल मचल रहा था
आसमान में लालिमा छाई थी
प्रकृति तेरे रूप में आई थी
वो शाम बड़ी सुहानी थी
ठंडी पवन कर रही मनमानी थी
झील के किनारे बैठे थे हम
तेरे प्रेम में डूबकर इतरा रहे थे हम
लहरें गुनगुना रही थीं 
दिल में हलचल मचा रही थीं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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