लोग तौलते हैं अक्सर
तोहफें सजते जिस्मों तक बस
इश्क है रौशन रूहों पर
समझ के अपनी माली हालत
करें सही समझौते पर
कितनी गुरबत आ भी जाए
रहेंगे खुश हर लम्हे पर
चान्दी-सोना-हीरे-गहने
दिला न पाया भले मगर
प्यार की गर्माई को छू लें
चाय की हर इक सिप पर
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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