कहाँ है जीवन का आर-पार?
सोचा फिर!
जहाँ कहीं पर है जीवन
होगा फिर उसका मरण
जीवन है मृत्यु की छाया
और मृत्यु का है जीवन!
जीवन_मरण है जहाँ पर
उसको जानो तुम संसार
इसका न कोई आर-पार
भटके जीव यहाँ बार-बार
जहाँ से चला वहीं फिर पहुँचा
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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