Tuesday, January 17, 2023
पसरा था चहुंओर सन्नाटा
रात भी ठहर_सी_गई थी
तभी आसमां में छिटकी चांदनी
और चांद-सी एक परी मुस्काई
तारों के रथ पे होके सवार
मेरे आंगन उतर आई
जब तक हम संभलते
मदहोश-सी बावली
पी की बांहों में समाई
अब किसे होश था
जब हुई किस्तम की रहनुमाई
तंद्रा टूटी,जब निकला
बेरहम भोर का तारा
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