Tuesday, January 17, 2023

कली कल थीं कुसुम सी आज प्रेयसि खिल_गई_हो_तुम।
महक चन्दन की बनके हर हृदय में घुल_गई_हो_तुम ।।
महक से बावरा होता है हर घर का खुला आंगन।
मुझे क्यूँ रूप की हाला पिलाने तुल_गई_हो_तुम।। 

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