ज़िंदगी का खेल भी अजीब है
हर कोई दूर हर कोई करीब है
बड़े बड़े सपने जगाती है
बिलावजह उसके पीछे भगाती है
थोड़ी खूशी ज़्यादा गम देती है
चेहरों पीछे का सच दिखाती है
एक पल मे नशतरें चुभाती है
ज़िंदगी का खेल भी अजीब है
हर कोई दूर हर कोई करीब है
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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