Wednesday, February 1, 2023

तुम्हारे थे हर पल तुम्हारे रहे है
यही बात सबको बताते रहे है

गज़ब की अदा व अजब तेरी शोखी 
दिन रात हम उन पर ही मरते रहें है 

गागर में सागर और सागर से मोती
मुहब्बत में भर भर लुटाते रहे है

नज़र से नज़र को नज़र की इनायत
नज़र में छिपा के दिखाते रहे है

नही छोड़ा हमने कभी सच का दामन
निगाहों में   सबकी  ही   खलते रहे है

करने को बातें बहाने से आते 
वही कनखियों से निकलते रहे है

बता दो मुझे यार क्या ही करूँ मैं
अश्कों से दामन भिंगोते रहे है

यक़ी तुम करो या करो न भरोसा
तेरी आशिक़ी में हम जलते रहे है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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