Friday, February 3, 2023

याद आ रहा है
वो प्यारा साथ_तुम्हारा
धीरे से कुछ कहना
और मेरा मुश्कुरा देना
लम्हें शदियों में बदल गए हैं
एक रविवार का वो इंतजार
तुम्हारा धीरेसे हाथ थामना
चाय कहकर धीरे से मुश्कुराना
याद आता है अक्सर वो गुजरा हुआ जमाना
चाय और तुम
तुम औऱ चाय
न वो स्वाद
न वो चाह
न वो सुकून
न वो नीम की छांव
जहां हर रविवार.....…
तुम और तुम्हारी चाय का इंतजार हुआ करता था।।
चाय का हर घूँट कितनी देर चला करता था,
अब तो चाय कभी कभी पानी बन जाती है।
भागती जिंदगी कहाँ सुकून पाती है ।।
हरी, काली,चाय भी कितने रंग दिखाती है।।।।।।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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