Saturday, February 4, 2023
सादगी तुम्हारी हम को लुभा_रही है
उसपे ये शब सुहानी दिल को जला रही है।।
होठों पे जाने कब से हर बात थे दबाए
खामोशियों के किस्से धड़कन सुना_रही है।।
वो शाम ज़िन्दगी की हर धुन सुना_रही थी
ये शाम विरह वाली हमको रूला_रही है।।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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