वो नीली आँखें...
लो उमड़ पड़ीं सागर सी
वो भीगी आँखें...
मेघश्याम सी घनी-घनी
वो कारी आँखें...
मधुशाला सी भरी-भरी
वो भारी आँखें...
एक भरे पैमाने सी जब
छलकी आँखें...
दिल मानो थम सा गया
लेकिन धड़कीं आँखें...
ओस में डूबी झील सरीखी
वो नम सी आँखें...
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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