बहुत थक चुका हूं आंखों से
अब कितने आंसू और बहाऊंगा
सुनसान राह में भी आवाज़ लगा कर
मैं सबको और जगाऊंगा
ऐ ज़िन्दगी तेरी किताब के पन्ने पलट कर
मैं मिलने न आऊंगा
तुम हमें तलाशते रह जाओगे और
मैं नज़रों से दूर हो जाऊंगा
अंधेरे घर में बैठ कर तुझे याद करतेकरते
मैं तन्हा हो जाऊंगा
मगर ये याद रखना तुझे भूलकर
मैं न कभी ज़िंदा रह पाऊंगा
मैं ज़िंदा हूं तेरे बदौलत जबभी
याद करोगे करीब आ जाऊंगा
हो सकेगा तेरी आवाज़ में
आवाज़ बनकर दर्द सुना जाऊंगा
धूपछांव का तमाशा क्यूं देखूं
गर दर्द बढ़ाओगे मिट जाऊंगा
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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