आहिस्ता आहिस्ता
सांसो से सांसो की गुफ्तगूं
आहिस्ता आहिस्ता
नादान से सवाल है दिल से
क्यों गम ही गम सिमट रहा जिंदगी में
आहिस्ता आहिस्ता
बहुत फलसपां सुना था ऐ जिंदगी
जब रुबरु हुए तुझसे
आहिस्ता आहिस्ता
उम्मिदों का साया लिपट गया
कफन से आहिस्ता आहिस्ता
मेरे दर्दो गम में किसी का साथ नहीं,
खुशियों में साथ देने वाले चल दिए
आहिस्ता आहिस्ता...
ये मौसम का सितम था या उनका,
मिजाज बदला भी तो
आहिस्ता आहिस्ता....
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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