Saturday, April 1, 2023

सुनो,,
तुम वही हो,
जिसे मैं चाहूं अपने आस पास
सांझ ढले,,,,जब पंछी लौट आएं
अपने आशियानों में,
और मैं तुम्हारे खूबसूरत
अल्फाजों में ,,,,
ढूंढूं अपना वजूद कहीं
तुम्हारी कल्पनाओं में,,
ये जानते हुए भी कि
वास्तव में ये मैं नहीं हूं,,,
हो भी नहीं सकता ,
क्योंकि कल्पना जितनी
सुकून देती है,,वास्तविकता
ठीक उसके विपरीत डराती है,,
इसलिए मैं रहना चाहता हूं,,
तुम्हारी लेखनी में हमेशा

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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