कहीं किसी मोड़ पर
मिले हम तुम
तन्हा राहें तन्हा तन्हा हम तुम
बाहों में बाहें डाले
चलते रहे
कहीं किसी नदी के किनारे
तुम्हारी गोद में सर अपना
पानी की कलकल आवाज
गुमसुम हम तुम
#ना_कुछ_कहो_तुम #ना_कुछ_कहें_हम
बस देखता रहूं मैं तुम्हें
जैसे कोई
चौदहवीं का चांद हो
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