Monday, April 3, 2023

कभी यूं भी हो
कहीं किसी मोड़ पर
मिले हम तुम
तन्हा राहें तन्हा तन्हा हम तुम
बाहों में बाहें डाले
चलते रहे
कहीं किसी नदी के किनारे
तुम्हारी गोद में सर अपना
पानी की कलकल आवाज
गुमसुम हम तुम
#ना_कुछ_कहो_तुम #ना_कुछ_कहें_हम 
बस देखता रहूं मैं तुम्हें
जैसे कोई
चौदहवीं का चांद हो

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