मेरी क्या क्या हो तुम
हो पूस की सर्द_रातें
जाड़े की धूप हो तुम
मद्धिम चाँदनी रातों का
मनभावन श्रृंगार हो तुम
फागुन की बसंती बयार
धड़कन की पुकार हो तुम
पूर्णिमा हो शरद की
जेठ की तपन हो तुम
जिंदगी के जतन हो
हो इश्क का खुमार
जिंदगी का उपहार हो तुम
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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