प्रेम ह्रदय की पुकार है व्यापार नहीं
दो दिलों का सरोकार है जीत हार नहीं
जीवन में मिल जाता है स्नेह कभी कभी
राह चलते मिल जाते हैं स्नेही जब कभी
प्रेम सागर सा गहरा है जिसका पारावार नहीं
लहरों पर यूँ ही बढ़ता बिन माँझी पतवार कहीं
बड़ी कोमल होती है डोर सँभाले रखना
टूट भी जाये जो लगे जोर गाँठ बचाये रखना।
होती नहीं मिठास गन्ने के जोड़ में
नरम हो जाते हैं धागे भी गठजोड़ मे।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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