Saturday, April 8, 2023

प्रेम ह्रदय की पुकार है व्यापार नहीं
दो दिलों का सरोकार है जीत हार नहीं

जीवन में मिल जाता है स्नेह कभी कभी
राह चलते मिल जाते हैं स्नेही जब कभी

प्रेम सागर सा गहरा है जिसका पारावार नहीं
लहरों पर यूँ ही बढ़ता बिन माँझी पतवार कहीं

बड़ी कोमल होती है डोर सँभाले रखना
टूट भी जाये जो लगे जोर गाँठ बचाये रखना।

होती  नहीं  मिठास  गन्ने  के जोड़ में
नरम हो जाते हैं धागे भी गठजोड़ मे।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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