Friday, April 7, 2023

तुम पावन गंगा की निर्मल धार बनो
मै प्रेम रज कण से स्वप्न तेरे सजाऊं।।

तुम मेरे ह्रदग्नि शिखा की लौ बनो
मै तेरे जीवन की बाती बन जाऊं।।

ये लावण्य रूप तेरा भाता है मुझे
अंश तेरे मन का बन इतराऊँ।।

सुनना है मेरी ह्रयय व्याकुलता
तो अपना मै प्रेम काव्य दुहराऊं।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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