Sunday, April 23, 2023

पांव  धरे क्या घर में तुमने,
भाग्य हमारे.संवर रहे हैं
ऐसा लगता है धरती पर,
चाँद सितारे उतर रहे हैं 
युगो_युगों से दीप जलाकर,
हमने तेरे पंथ_निहारे
जनम_जनम के मास-बरस क्या,
दिवस-दिवस बीते बंजारे
श्वासों के हर गीत-छन्द में,
सुरभित थे अनुराग तुम्हारे

No comments:

Post a Comment