ओ यामिनी सुन!
संग_तुम मेरे आज जगना,
मैं निहारूँ चाँद को जब,
तुम प्रणय रस घोल रखना।
चाँद हो जाए न ओझल,
नैन से मेरे सुनो !तुम,
संग_तुम झूमना मेरे
रागिनी गाकर सुनाना।
चाँद में छवि है प्रिये !की
देख लूँ मैं आज जी भर
तुम न अलसाना निशा री!
आज आना अद्य अँगना।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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