ध्वनि है छंद युक्त तेरी, असँख्य रूप वाहिनी
तू शैलजा,पयस्विनी, तू जीव प्राणदायिनी
बना के तू प्रिये सखी, पवन को संग ला रही
तू सरयू है बनी कहीं, तू सूर्यजा सी बह रही
जहाँ हैं श्याम खेले गेंद, तू पूर्णता को प्राप्त कर
है सिन्धु में समा रही
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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