मेरे सपनों को
अपने परों का रंग देकर
कहाँ खो गईं तुम?
काश! तुम दोबारा दिखती कहीं
यूँ ही किसी फूल को चूमती हुई
डाली-डाली झूलती हुई
फिर से आओ ना
मेरे मन-आँगन में
किसी क्षणिक खुशी का स्वरूप लेकर
पर अबकी जब मिलना
सिर्फ रंगत ही देना अपनी
मधुरता मत देना!
कि टूट जाता है
जरा सी बात पर
मेरे हृदय को अपने पंखों की
कोमलता मत देना !!
~~~~ सुनिल #शांडिल्य
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