Friday, May 19, 2023

तुम ख़ुश्बू हो,जिस आँचल में बिखरोगे गन्ध लुटाओगे
मेरी पंखुरियों से बँध कर केवल मुझतक रह जाओगे 

इतिहास सँवारोगे या फिर आने वाला कल देखोगे
खुशियों की मांग भरोगे या ये बहता काजल देखोगे

तुम पर है,पा लोगे कोई सतरंगी सपना नैनों में
या फिर काजल के घेरे में बंदी गंगाजल देखोगे

मैं भूला-भटका रस्ता हूँ,क्या पाओगे मुझ तक आकर
उस पथ को पूजा जाएगा तुम जिस पर चरण बढ़ाओगे 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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