Monday, June 12, 2023

माखन मिश्री अधर कपोल 
शब्द प्रेमी हृदय से बोल
वाकपटुता नयन इशारा 
सेज सजायी छत चौबारा

चाँद चाँदनी झाँक रहे हैं 
चकवा चकवी ताक रहे हैं।
शीतल समीर बहे सुहानी 
तन में सिहरन दौड़ाए,

लपट झपट कर प्रियतमा 
प्रिय उर से लग-लग जाए
प्रियतम के बाहुपाश में सिमटे, 
लजाए सकुचाए।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment