Sunday, June 11, 2023

मृगनयनी से नयन तुम्हारे, हिरनी सी इठलाती हो
मेघ से कोर भरे आंखों के पलकें यूं झपकाती हो
अधरों पर जैसे रस हो फूलों का,पंखुरी सा मुस्काती हो
मरे-मिटे हैं लाखों दिल, हुस्न-ए-मल्लिका कहलाती हो।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

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